आई०सी० टी० का आलोचनात्मक अध्ययन

Assistant Professor

IIMT University, Meerut

PhD   in Education

 

 

 

Description

वर्तमान परिद्रश्य में मानव जीवन का शायद ही कोई पक्ष या क्षेत्र हो, जो तकनीकी के हस्तक्षेप से वंचित हो । संसार में हो रही नित्य नवीन वैज्ञानिक खोजों तथा अविष्कारों ने मानव जीवन में तकनीकी का वह मानदंड स्थापित कर दिया है कि इसके अभाव की कल्पना मात्र से जीवन में पंगुता सी लगने लगती है। यदि हम अपने जीवन में काम आने वाले तकनीकियों से अनभिज्ञ रहेंगे, तो हम प्रगति के मापदंडों में पिछड़ जायेगें। पिछले कुछ दशकों में हुए तकनीकी विकास ने हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। शिक्षा का क्षेत्र भी इसके प्रभाव से मुक्त नहीं रह सका है। शिक्षा के प्रत्येक स्तर व पक्ष को तकनीकी विकास ने प्रभावित किया है। शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण विधियाँ और प्रविधियाँ, शिक्षण-अधिगम प्रकिया, मूल्यांकन प्रक्रिया, शोध प्रक्रिया आदि सभी क्षेत्रों एवं प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के अनुसंधान स्तर तक का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहाँ तकनीकी ज्ञान का होना आवश्यक न हो। मानव विकास के ऐतिहासिक अनुक्रम के प्रारंभिक समय काल में जब लेखन कला का प्रादुर्भाव नहीं हुआ था शैक्षणिक प्रक्रिया का स्वरुप व शिक्षण कार्य मौखिक प्रस्तुतीकरण पर ही पूरी तरह आधारित था। इस समय विद्यार्थी अच्छी तरह सुनने व सुने हुए ज्ञान को कंठस्थ करने एवं उसे पुनः चेतना में लाने व प्रस्तुत करने की अपनी क्षमता को बढाने संबंधी उपायों की उपलब्ध तकनीकी का प्रयोग शिक्षा में करते सर्वत्र देखे जा सकते है। हमारे ऋषियों और मुनियों द्वारा अपने आश्रमों तथा गृहशालाओं में अपनाई गई मौखिक शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में उपलब्ध तकनीकियों के उपयोग के अनेको उदाहरण व विवरण देखने को मिलते है । न केवल भारत देश में अपितु पश्चिमी देशों में भी विभिन्न तकनीकियों का उपयोग शिक्षा प्रक्रिया में किया जाता था।

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