Description
इस पुस्तक के लिए मैं सबसे पहले अपने माता-पिता का शुक्रिया अदा करना चाहुँगा जिनके वजह से में इतना काबिल बना।
उसके बाद में अपने इष्ट श्री हनुमान जी को प्रणाम कर के उनका धन्यवाद् करना चाहुँगा ।
उस के बाद में मेरी इस छोटे-से कविता संग्रह को अपनी मंगेतर महिमा पुजारी (Mahima Pujari) को समर्पित करना चाहुँगा । उसके बाद अपने परिवार और दोस्तों का शुक्रिया अदा करना चाहुँगा । इन कविताओं को पुस्तक का रूप देने में जिसने मेरी विशेष मद्दद करि है उन में से में मेरे दोस्त अभिषेक, नवीन, अनूप, हर्षित और मेरे जीजाजी रोहित जी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ।और भी जिस किसी ने जाने अनजाने इस कविता- संग्रह को यर्थाथ रूप देने में मेरी मदद करी में उनका बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करता हूँ ।
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